सर्जिकल या नॉन-सर्जिकल, कौन सा गाइनो रिमूवल विकल्प बजट से मेल खाता है

• 27-11-2024 22:22

महिलाओं के शरीर में गर्भाशय (Gyno) की समस्याओं से निपटने के लिए दो प्रमुख विकल्प हैं - सर्जिकल और गैर-सर्जिकल. इन दोनों विकल्पों के बीच अधिकतर महिलाएं अपने बजट के अनुसार चुनाव करती हैं. इस लेख में, हम बजट के संबंध में यह चर्चा करेंगे कि सर्जिकल और गैर-सर्जिकल में कौन सा विकल्प सबसे अधिक संगत हैं.

सर्जिकल या नॉन-सर्जिकल, कौन सा गाइनो रिमूवल विकल्प बजट से मेल खाता है

1. खर्च:

यदि हम खर्च की बात करें, तो सर्जिकल विकल्प महंगा और गैर-सर्जिकल विकल्प सस्ता माना जाता है. गर्भाशय में सर्जरी के लिए कुछ हज़ार रुपये से लेकर लाखों रुपये तक का खर्चा हो सकता है, जबकि गैर-सर्जिकल विकल्प के खर्चे कुछ सैंड रुपये से लेकर लाखों रुपये तक हो सकते हैं।

Surgical विकल्प के केंद्रों के लिए कुछ प्रमुख शहरों के आधार पर खर्च की एक आम श्रेणी दी गई है: - दिल्ली: 5,000 रुपये से 10,000 रुपये - मुंबई: 8,000 रुपये से 15,000 रुपये - कोलकाता: 5,000 रुपये से 12,000 रुपये - बैंगलोर: 6,000 रुपये से 11,000 रुपये - चेन्नई: 7,000 रुपये से 12,000 रुपये

2. आरामपूर्णता:

गैर-सर्जिकल विकल्प में गर्भाशय की समस्याओं का समाधान और सुधार बिना किसी सर्जरी के मिलता है. इसलिए इस विकल्प में ऑपरेशन के बाद का समयावधि कम होता है और महिलाएं आसानी से काम पर वापस जा सकती हैं। वहीं सर्जिकल विकल्प में ऑपरेशन के बाद कुछ हफ्ते का समयावधि चाहिए होता है जिसमें महिलाओं को आराम करना चाहिए।

3. दुर्घटनाओं की संभावना:

सर्जिकल विकल्प में ऑपरेशन की सामान्य दुर्घटना और संक्रमण की संभावना होती है. हालांकि, गैर-सर्जिकल विकल्प में यह संभावना बहुत कम होती है क्योंकि इसमें किसी प्रकार की सर्जरी नहीं होती है।

4. आसानी से उपलब्धता:

गैर-सर्जिकल विकल्प को हास्पटल और क्लीनिक्स में आसानी से उपलब्ध किया जा सकता है, जबकि सर्जिकल विकल्प के लिए विशेषज्ञता और अत्यधिक सुसंगत सुविधाएं चाहिए होती हैं।

5. समयावधि:

गैर-सर्जिकल विकल्प में समयावधि काफी कम होती है, जबकि सर्जिकल विकल्प में ऑपरेशन के बाद कुछ हफ्ते या महीने का समय लगता है।

6. एक जीवाणु के निगरानी:

गैर-सर्जिकल विकल्प में एक विशेष जीवाणुरेखा की सहायता से ग्राहक के कंधों पर चित्रण करके मानसिक प्रोस्टेट गर्भाशय की स्थिति की जांच की जा सकती है।

7. वार्षिक अवधि:

गैर-सर्जिकल विकल्प में महानिदेशकों द्वारा सिफारिशित वार्षिक चेकअप जरूरी होते हैं, जबकि सर्जिकल विकल्प में कुछ सामग्रियों के हड्डीवद्ध अस्तित्व की जांच की जरूरत हो सकती है।

8. अनासारी संभावना:

गैर-सर्जिकल विकल्प में अनासारी की संभावना बहुत कम होती है, जबकि सर्जिकल विकल्प में यह संभवतः हो सकती है।

9. चिकित्सा प्रभाव:

गैर-सर्जिकल विकल्प में सामान्यतया एक ही उपचार सत्र से ही इस्तेमाल किए जाने वाले कार्बन और हाइड्रोपेरक्साइड के द्वारा की जाती है। जबकि सर्जिकल विकल्प में गठिया, प्रेग्नेंसी आदि जैसी बीमारियों पर प्रभाव पड़ सकता है।

10. विशेषता उपयोगीता:

गैर-सर्जिकल विकल्प उन महिलाओं के लिए उपयोगी हो सकता है जो ऑपरेशन से डरती हैं या बजट संबंधी सीमाओं के कारण ऑपरेशन कराने का विकल्प नहीं चुनना चाहती हैं।

11. उपचार की अवधि:

गैर-सर्जिकल विकल्प में कई बार 3-6 माह की अवधि तक उपचार किया जा सकता है, जबकि सर्जिकल विकल्प में कुछ साल तक का उपचार प्रदान करने की आवश्यकता हो सकती है।

12. विशेषज्ञता और अवसर:

गैर-सर्जिकल विकल्प में उपचार का अधिकांश हिस्सा गर्भाशय की समस्या के विशेषज्ञों द्वारा किया जा सकता है, जबकि सर्जिकल विकल्प के लिए विशेषज्ञों द्वारा अवसरसद्धता की आवश्यकता हो सकती है।

13. प्रदर्शन:

गैर-सर्जिकल विकल्प में उपचार के प्रदर्शन की संभावाएं संघ

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